Monday, 13 February 2012

मंडे मंडली? ये क्या बला है?



कंचन पंत


मंडे मंडली? ये क्या बला है?

पहली बार जब उमेश ने युवा लेखकों के इस जमावड़े के बारे में बताया तो यही रिएक्शन था मेरा। थोड़ी फैसिनेटिंग, थोडी रहस्यमय...लेखकों की दुनिया हम पत्रकारों से थोड़ी अलग तो होती ही है।

मंडे मंडली में शामिल होने से पहले लेखकों, साहित्यकारों के लिए मेरी राय ज़्यादा अच्छी नहीं थी। इसकी वजह मेरे पुराने अनुभव भी हो सकते हैं या मेरे पूर्वाग्रह भी। खैर....पहली बार जब मंडे मंडली में मेरा जाना हुआ तो इत्तेफाक से वो दिन मंडे नहीं था, गुरुवार था। नीलेश जी से पुराना परिचय नहीं था, और मंडली के पुराने सदस्यों भी नहीं। क्लास में देर से एडमिशन लेने वाले छात्र की तरह मैं कुछ झिझकते हुए मंडे मंडली में शामिल हुई, थोड़ी देर कुछ अनकंफटेबल भी फील किया। लेकिन बस थोड़ी देर ही। इस मंडली में जो मूर्तियां बैठी हैं वो आपको ज़्यादा देर अनकंफटेबल रहने नहीं देती। एनडीटीवी में साढ़े पांच साल काम करने के बाद भी औपचारिकता का जो झीना सा पर्दा आस-पास टंगा रहता था उसका रेशा भी यहां नहीं दिखा। नीलेश जी के उस फ्लैट पर जैसे मंडली के हर सदस्य का कब्ज़ा था। किसी चीज़ के लिए पूछना नहीं, किसी चीज़ के लिए झिझकना नहीं। कोई चाय मास्टर है तो कोई खाने का इंचार्ज। हंसी-ठिठौली के बीच गंभीर चर्चाएं, हर गलती पर सवाल, हर अच्छे वाक्य के लिए वाह वाही.... कहानियां ऐसे माहौल में नहीं बनेंगी तो कहां बनेंगी?"

मंडे मंडली में कहानियां लिखी नहीं जाती, बुनी जाती हैं, बनाई जाती हैं। देश में पता नहीं ऐसे कितने मंच हैं? पता नहीं हैं भी कि नहीं?  

साढ़े छह साल के जर्नलिज़्म के करियर में मैंने कितनी ही सच्ची कहानियां न्यूज़ पैकेज के तौर पर लिखी होंगी। लेकिन वही सच खुद में समेटे काल्पनिक किरदारों को कहानी के फ्रेम में कैद करना इतना आसान नहीं होता। पहली बार मैंने कहानी का लेबल लगाकर कुछ पैराग्राफ मंडली में पढ़े। नया समझकर साथियों ने ज़्यादा कमेंट नहीं किया हालांकि मैं खुद भी जानती थी कि जो मैंने लिखा है वो कुछ विचार भर हैं...कोई कहानी नहीं। न्यूज़ लिखने में, रनडाउन बनाने में मैं कभी किसी से नहीं डरी लेकिन कहानी लिख पाऊंगी क्या...? थोड़ा डर लगा था। तब नीलेश जी ने कहा कहानी लिखना तुम्हें आता है

आगे भी उन्होंने कुछ कहा लेकिन मैं उसी एक सेंटेंस को दिमाग में रिवाइंड करके बार-बार सुनती रही। और वाकई कांफिडेंस कई गुना बढ़ गया।

सोचिए आपकी कहानी को हर मोड़ पर कोई ना कोई संभालने वाला हो तो किरदार लड़खड़ा कैसे सकता है? मैं भी अब कुछ कहानियां लिख चुकी हूं। लिखते हुए कभी-कभी अटक भी जाती हूं लेकिन एक भरोसा होता है कि मंडली कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेगी।

अभी सिर्फ शुरूआत है उम्मीद है ये मंडली हमेशा इसी तरह जमती रहेगी।



Kanchan Pant is a Writer and Journalist by profession but a normal small town girl by heart. Worked with NDTV as output editor for more than five years. Enjoyed the news room environment, the hustle-bustle of breaking news, back to back news bulletins for long. In January 2012 she  joined neelesh jee along with Monday Mandali and life moved from facts to fictions. And now these fictions has become the fact of my life. 



3 comments:

  1. प्रणाम...बहुत अच्छा लगता है आपकी स्टोरी सुनकर...मैं भी कविताएँ और कहानिया लिखता हु...आपकी तरह कहानीकार बनना चाहता हूँ...मेरी मदद करें ताकि में भी इस मंडली में शामिल हो सकू...आभार
    ulike2007@gmail.com

    ReplyDelete
  2. Sultan Casino - Shootercasino
    Sultan Casino offers many of the latest slots & 인카지노 table games 제왕 카지노 including classic baccarat, live dealer 메리트 카지노 games, progressive jackpots and many more. We are open!

    ReplyDelete
  3. Slots by Pragmatic Play - AprCasino
    Pragmatic Play. apr casino Pragmatic Play. Pragmatic Play. ventureberg.com/ Slot Machine. The Dog House. wooricasinos.info Slots. Wild West Gold. casinosites.one Pragmatic Play. Jackpot Party.

    ReplyDelete